लेखनी कहानी -16-Feb-2022संत रविदास प्रतियोगिता
संत रविदास
काशी में थे ज़न्मे
संत शिरोमणि रविदास
माता कर्मा देवी
पिता संतोख दास।
चर्मकार कुल में जन्मे
जूतो का व्यापार
मेहनती परेश्रमी
भगवत भजन में रमे थे महाराज
गंगा में थी आस्था
अद्भुत थे विचार
व्यापारी एक आया
जूता गठवाने द्वार
गंगा घाट जा रहा
गंगा समर्पण का भाव
सिक्का एक दिया उन्होंने
व्यापारी ने अर्पित किया सिक्का जब
मां ने लिया हाथ पसार
कंगन दिया बदले में
व्यापारी के हाथ
मन में लालच आ गया
देख कंगन हाथ
सोचा क्या पता लगेगा
रविदास को आज
जाकर भेंट चढ़ा दिया
राजा के दरबार
कंगन सुंदर देखकर
रानी हुई प्रसन्न
दूजा कंगन मांगलिया
व्यापारी से साथ
घबरा गया व्यापारी तो
संकट में आए प्राण
गया संत के चरणों में
सुनाया सब वृतांत
परेशान ना हो तुम
की गंगे मां से प्रार्थना
कठोती मे था हाथ घुमाया
चमड़ा जिसमें गलाते थे
वैसा कड़ा हाथ में आया
कड़ा व्यापारी हाथ थमाया
जाकर उसने प्राण बचाया
हुई तब से यह बात प्रसिद्ध
मन चंगा तो कठौती में गंगा
जैसा भाव ईश्वर में रखो
वैसा ही फल पाओगे
तुममे हो आस्था प्रबल
कर्म से सब कुछ पाओगे।।
प्रतियोगिता हेतु
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
16.2.2022
Ekta shrivastava
16-Feb-2022 06:18 PM
Bahut he rochak rachna 👌
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Seema Priyadarshini sahay
16-Feb-2022 03:43 PM
बहुत खूबसूरत
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